पर्यावरण संरक्षण आज के समय की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक बन चुका है। वनों की अंधाधुंध कटाई, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता में तेजी से हो रहे ह्रास ने मानव सभ्यता के समक्ष गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। ऐसे में बच्चों और युवाओं को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाना और उन्हें सकारात्मक पर्यावरणीय क्रियाओं में सहभागी बनाना न केवल समय की मांग है, बल्कि यह एक स्थायी भविष्य की नींव रखने का कार्य भी है।
इसी
सोच के साथ मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग ने इस वर्ष एक वृहद पौधरोपण अभियान
चलाने का निर्णय लिया है, जो "एक पेड़ माँ के नाम 2.0" के नाम से जाना जायेगा। यह अभियान 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस से प्रारंभ होकर 30 सितम्बर 2025 तक
चलेगा, जिसमें प्रदेशभर के विद्यालयों में ईको क्लबों के माध्यम से बच्चों
की सक्रिय भागीदारी से 50 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
🌿 अभियान
का उद्देश्य
इस अभियान का
मूल उद्देश्य बच्चों और युवा पीढ़ी में सतत विकास की चेतना का विकास करना और
उन्हें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भागीदार बनाना है। इस योजना के माध्यम
से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि
बच्चों में मातृत्व की भावना का भी आदर किया जाएगा, क्योंकि
प्रत्येक पौधा एक छात्र द्वारा अपनी माता के नाम समर्पित किया जाएगा।
यह पहल समाज
में पारिवारिक मूल्यों और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जैसे भावों को भी मजबूती
प्रदान करेगी। इस प्रयास से बच्चों को जैव विविधता, वनस्पति विज्ञान, और प्राकृतिक संतुलन जैसे विषयों
की व्यावहारिक जानकारी मिलेगी, जिससे उनका समग्र व्यक्तित्व
विकास होगा।
🌱 पौधों
का चयन और जानकारी
अभियान के
तहत मुख्य रूप से स्थानीय और क्षेत्रीय प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे,
जो उस क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी और
पारिस्थितिकी के अनुकूल हों। इससे इन पौधों के जीवित रहने की संभावना अधिक होगी और
वे पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावी रूप से बनाए रख सकेंगे।
बच्चों को
पौधों की प्रजातियों, उनके औषधीय, आर्थिक एवं पारिस्थितिक लाभों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके
अतिरिक्त, प्रत्येक पौधे पर एक पट्टिका लगाई जाएगी, जिसमें विद्यार्थी और उसकी माता का नाम दर्ज किया जायेगा। इससे बच्चों में
पौधे के प्रति अपनापन और जिम्मेदारी की भावना विकसित होगी।
प्रौद्योगिकी
का समावेश
इस अभियान
में नवाचार के रूप में प्रत्येक वृक्ष प्रजाति के लिए एक क्यूआर कोड बनाने का
सुझाव दिया गया है। इस क्यूआर कोड को स्कैन कर छात्र और शिक्षक उस पौधे की
वैज्ञानिक जानकारी, जैसे उसका वानस्पतिक
नाम, पारिस्थितिक उपयोग, औषधीय गुण आदि
प्राप्त कर सकेंगे। यह डिजिटल साक्षरता को भी प्रोत्साहित करेगा और शिक्षा के
साथ-साथ तकनीक का समुचित उपयोग सुनिश्चित करेगा।
क्रियान्वयन की रणनीति
अभियान को
प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक सुदृढ़ रणनीति तैयार की गई है। जिला शिक्षा
अधिकारी (DEO) और जिला परियोजना समन्वयक (DPC)
को निर्देशित किया गया है कि वे विद्यालयों, ग्रामों
की उपलब्ध भूमि और छात्रों की संख्या के अनुसार कार्ययोजना तैयार करें।
जिला स्तर पर
कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जायेगा,
जिसमें वन विभाग के अधिकारी, समाजसेवी,
स्कूल प्रमुख और अन्य गणमान्य नागरिक शामिल होंगे। यह समिति पौध
रोपण की निगरानी, समन्वय और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। पौध
रोपण की तैयारी 4 जून तक पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
पौधरोपण
मुख्यतः विद्यालय परिसरों, स्कूल से सटे मार्गों,
सार्वजनिक स्थलों और अमृत सरोवरों के आसपास किया जायेगा। इससे न
केवल हरियाली बढ़ेगी बल्कि बच्चों को नियमित रूप से इन पौधों की देखभाल करने का
अवसर मिलेगा।
निगरानी
एवं मूल्यांकन
अभियान की
निगरानी के लिए एक स्पष्ट दायित्व निर्धारण किया गया है। कक्षा 9
से 12 तक के विद्यालयों में कार्यक्रम के
क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी को दी गई है। वहीं कक्षा 6 से 8 तक के विद्यालयों में कार्यक्रम की निगरानी जिला
परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा केंद्र द्वारा की जायेगी।
ग्रीष्मकालीन
अवकाश के पश्चात जब बच्चे विद्यालय लौटेंगे, तो
15 जून से प्रातः सभा के समय पौधों के महत्व, के
बारे में बताने के लिए कहा गया है।
पौधों
की सुरक्षा और उत्तरदायित्व
सिर्फ पौधा
लगाना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि उसकी सुरक्षा
और नियमित देखभाल अत्यंत आवश्यक है। इसलिए विद्यालयों को निर्देशित किया गया है कि
वे प्रत्येक पौधे की सुरक्षा की जिम्मेदारी तय करें। छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और स्थानीय समुदाय की भागीदारी
से पौधों की निरंतर निगरानी, जल प्रबंधन और पोषण सुनिश्चित
किया जायेगा।
एक
समर्पित संदेश
"एक पेड़ माँ के नाम 2.0" अभियान न केवल
पर्यावरणीय जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि यह मातृत्व के
प्रति सम्मान, पारिवारिक भावनाओं के पोषण और प्रकृति के
प्रति उत्तरदायित्व का एक जीवंत उदाहरण भी है।
यह पहल हमें
यह भी सिखाती है कि समाज के निर्माण में विद्यालयों की भूमिका केवल अकादमिक ज्ञान
तक सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज के
भविष्य निर्माताओं को संस्कारित करने का केंद्र हैं।
यह
प्रयास यदि अपने उद्देश्यों को साकार करता है,
तो यह देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकता
है। 50 लाख पौधों का रोपण न केवल प्रदेश की हरियाली में
वृद्धि करेगा, बल्कि बच्चों के मन में प्रकृति के प्रति
प्रेम, संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व की भावना को भी गहराई
प्रदान करेगा। यह एक ऐसा प्रयास है, जो हरित भारत, स्वस्थ भारत और संवेदनशील भारत की ओर
एक महत्वपूर्ण कदम है — और इसकी शुरुआत होती है एक छोटे से बीज से, जो एक माँ के नाम समर्पित होता है।
The News Grit, 02/06/2025
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