मध्य प्रदेश का नौरादेही टाइगर रिजर्व राज्य का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है, जो तीन जिलों-दमोह, सागर और नरसिंहपुर में फैला हुआ है। यहाँ की जैव विविधता, खासकर बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा हमेशा एक चुनौती रही है, क्योंकि शिकारी और तस्कर लगातार इस रिजर्व को नुकसान पहुँचाने की फिराक में रहते हैं। इन खतरों से निपटने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों की बड़ी टीम तैनात है, लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा डर शिकारियों को गैलीलियो से लगता है। गैलीलियो एक खास रक्षक है, जो एक खोजी डॉग है।
कौन है गैलीलियो?
गैलीलियो,
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व का खोजी डॉग है, जिसकी तैनाती 2020 से नौरादेही में है। यह एक बेल्जियन
मेलिनोइस (Belgian Malinois) नस्ल का स्निफर डॉग है। इस नस्ल
की उत्पत्ति बेल्जियम में हुई थी और यह खासतौर पर तेज बुद्धि, तीव्र गति और आदेशों के प्रति संवेदनशील प्रतिक्रिया के लिए जानी जाती है।
बेल्जियन मेलिनोइस आमतौर पर सेना, पुलिस और अब वन विभागों
में भी तैनात किए जाते हैं।
गैलीलियो का
जन्म
17 मार्च 2017 को हुआ था। पहले वह मुरैना के
चंबल घड़ियाल सेंचुरी में तैनात था, जहाँ उसने कई मामलों को
सफलतापूर्वक सुलझाया। 2020 में उसे नौरादेही टाइगर रिजर्व
में लाया गया। तब से लेकर अब तक गैलीलियो 51 वन्य अपराधों को
सुलझा चुका है, जिनके आधार पर 91 अपराधियों
को सलाखों के पीछे भेजा गया है।
कैसे
करता है टाइगर रिजर्व की सुरक्षा?
नौरादेही
टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए. ए. अंसारी बताते हैं कि गैलीलियो टाइगर
रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा है। टाइगर रिजर्व को विभिन्न डिवीजनों
में बाँटकर एक रोस्टर बनाया गया है, जिसके
तहत गैलीलियो को नियमित गश्त के लिए भेजा जाता है।
यह डॉग
खासतौर पर उन संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया जाता है जहाँ शिकारियों की
गतिविधियाँ अधिक होने की आशंका होती है। शिकारियों द्वारा लगाए गए फंदों को
गैलीलियो आसानी से सूंघ कर खोज लेता है। अब तक गैलीलियो की मदद से एक तेंदुए,
एक भालू और दमोह में एक काले हिरण के शिकार की जांच सफलतापूर्वक की
गई है।
ट्रेनिंग और सूंघने की शक्ति
गैलीलियो की
सफलता का सबसे बड़ा कारण है उसकी बेहतर ट्रेनिंग और अद्भुत सूंघने की क्षमता। उसके
ट्रेनर प्रीतम अहिरवार बताते हैं कि “गैलीलियो बेहद चुस्त,
फुर्तीला और लक्ष्य तक पलभर में पहुंचने वाला डॉग है।” इस प्रकार के
खोजी डॉग्स को विशेष प्रकार की स्मैल ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें रोज़ अलग-अलग
गंधों से परिचित कराया जाता है, जिससे वे किसी भी प्रकार की
वन्यजीव तस्करी, शिकार या गैरकानूनी गतिविधियों की पहचान कर
सकें। इसके अलावा, डॉग को नियमित शारीरिक व्यायाम और
आदेश-अनुपालन अभ्यास भी कराया जाता है जिससे वह पूरी तरह एक्टिव और अलर्ट बना रहे।
क्या
खाता है गैलीलियो?
गैलीलियो
जैसे खोजी डॉग्स की सेहत और ऊर्जा के स्तर को बनाए रखना बेहद जरूरी होता है। वन
मुख्यालय भोपाल की विशेषज्ञ टीम द्वारा इन डॉग स्क्वायड के लिए विशेष डाइट प्लान तैयार
किया गया है। इस योजना के तहत गैलीलियो को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और जरूरी विटामिन से भरपूर भोजन दिया जाता है। उसकी डाइट
पर हर महीने लगभग ₹40 हजार से ₹50 हजार
तक का खर्च आता है।
इस डाइट प्लान
के अलावा गैलीलियो को वैक्सीनेशन, स्वास्थ्य जांच और
विशेष केनल (आवास) की सुविधा भी दी जाती है। इसके मूवमेंट के
लिए वन विभाग द्वारा एक समर्पित वाहन भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे वह तेजी से घटनास्थल पर पहुँच सके।
नौरादेही
टाइगर रिजर्व में गैलीलियो की भूमिका क्यों है अहम?
नौरादेही
टाइगर रिजर्व में तेंदुआ, भालू, सियार, बारहसिंगा, काले हिरण
और बाघ जैसे कई संरक्षित प्रजातियों के जीव रहते हैं। इनकी संरक्षा और संरक्षण के
लिए आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षित कर्मियों और संसाधनों के
साथ-साथ खोजी डॉग्स की भूमिका निर्णायक होती है।
गैलीलियो न केवल अपराधों की जांच में मदद करता है, बल्कि तस्करों और शिकारियों के लिए एक भय का नाम बन चुका है। उसकी सक्रियता के चलते न केवल अपराध घटे हैं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रति प्रशासन और स्थानीय लोगों का विश्वास भी बढ़ा है।
गैलीलियो जैसे वन प्रहरी हमें यह भरोसा दिलाते हैं कि हर छोटी कोशिश मायने रखती है। चाहे वह एक प्रशिक्षित डॉग की मुस्तैदी हो या किसी वन रेंजर की सतर्कता हर प्रयास प्रकृति की रक्षा में एक कड़ी जोड़ता है। और जब ये सारी कड़ियाँ जुड़ती हैं, तभी बनती है वह मज़बूत श्रृंखला जो जंगलों के वातावरण को बचा सकती है।
The News Grit, 16/06/2025
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