सागर
मध्यप्रदेश
के सागर जिले में जिला मलेरिया कार्यालय में कार्यरत सुशील कुमार यादव मानवता की
सेवा का एक ऐसा उदाहरण बन चुके हैं, जो
आज के युवाओं के लिए प्रेरणा बन रहा है। वर्ष 1996 से शुरू
हुई उनकी सेवा-यात्रा में अब तक वे 100 से अधिक बार रक्तदान
कर चुके हैं। यह सिलसिला तब शुरू हुआ जब सदर क्षेत्र के एक गरीब परिवार को तत्काल
रक्त की जरूरत थी और कोई भी मदद को आगे नहीं आया। सुशील ने न केवल रक्तदान किया,
बल्कि यह प्रण लिया कि जब तक सक्षम हैं, लोगों
की मदद करते रहेंगे।
उनकी यह सेवा भावना उन्हें विरासत में मिली है। उनकी मां स्वर्गीय शांति देवी सागर जिला चिकित्सालय में स्टाफ नर्स थीं और उन्होंने ही सुशील को बचपन से सेवा और करुणा का पाठ पढ़ाया। सुशील सिर्फ सागर में ही नहीं, बल्कि भोपाल, इंदौर, उज्जैन जैसे बड़े शहरों में भी जरूरतमंदों की मदद के लिए पहुंचे हैं। वे मानते हैं कि रक्तदान से न केवल दूसरों की जान बचती है, बल्कि इससे आत्मबल भी बढ़ता है।
रक्तदान के
अलावा सुशील कुमार ने मानवता की एक और मिसाल पेश की, जब उन्होंने किसी जरूरतमंद को अपनी किडनी दान करने का निर्णय लिया। इसके
लिए उन्होंने भोपाल, इंदौर और मुंबई के अस्पतालों में मेडिकल
जांच कराई, हालांकि चिकित्सीय कारणों से यह प्रक्रिया पूरी
नहीं हो सकी। बावजूद इसके, उनका यह संकल्प यह दर्शाता है कि
वे सिर्फ बातों से नहीं, बल्कि अपने शरीर और जीवन से सेवा के
लिए समर्पित हैं।
आज
समाज उन्हें “रक्तवीर” और “मानवता के सच्चे सेवक” के रूप में पहचानता है। उनकी
प्रेरणा से कई युवा अब नियमित रक्तदान अभियान से जुड़ रहे हैं। सुशील की यह कहानी
बताती है कि सच्ची सफलता न पद में है, न पैसे में – बल्कि सेवा और करुणा में है। उनके जीवन का संदेश स्पष्ट
है – "सेवा ही सच्चा जीवन है।"
The News Grit, 16/06/2025
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