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पर्यटन में मध्यप्रदेश की नई उड़ान: 2024 में 13 करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे!!

बांधा गांव में खाली मकान पर कोई इंसान नहीं!!!!

मध्य प्रदेश के सिंगरौली ज़िले के बांधा गांव में इन दिनों एक अनोखी स्थिति सामने आई है , जहां दर्जनों अधूरे और सुनसान मकान , जिन्हें स्थानीय लोग ‘भूत बंगले’ कह रहे हैं। अचानक उग आए हैं। ये मकान बिना दरवाज़ों , खिड़कियों , बिजली या पानी की व्यवस्था के केवल मुआवज़ा पाने की मंशा से खड़े किए गए हैं। कई संरचनाएं केवल ईंट और मिट्टी से जल्दबाज़ी में बनाई गई हैं , कुछ तो एक हफ्ते के भीतर ही खड़ी कर दी गईं। इन मकानों का मकसद सिर्फ इतना है कि जब खनन परियोजना के लिए ज़मीन अधिग्रहित की जाए , तो इनके नाम पर आर्थिक लाभ हासिल किया जा सके। लोग ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं उन्हें उचित मुआवज़ा न मिले या उनका नाम सूची से बाहर न कर दिया जाए। साथ ही , कुछ लोगों को यह भी लगता है कि बाहरी लोग तेजी से फर्जी निर्माण करके मुआवज़ा ले जाएंगे , इसलिए वे जल्दबाज़ी में खुद भी निर्माण कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास की प्रक्रिया की पारदर्शिता और प्रशासनिक निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना की समयरेखा और प्रशासनिक कार्रवाई इस पूरे मामले की शुरुआत 3 नवंबर 2020 को...

अब ट्रेन में भी मिलेगी ATM की सुविधा!!!!

भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधाओं को एक नया आयाम देते हुए एक अनोखी शुरुआत की है। अब यात्रियों को ट्रेन में सफर करते हुए भी पैसे निकालने की सुविधा मिल सकेगी। इसके लिए मुंबई से मनमाड (नासिक जिले) के बीच चलने वाली पंचवटी एक्सप्रेस में ATM मशीन लगाई गई है। यह भारत की पहली ट्रेन है जिसमें यह सुविधा प्रदान की गई है। क्या है ये नई सुविधा ? यह ATM मशीन मध्य रेलवे की ओर से शुरू की गई एक खास पहल है , जिसे बैंक ऑफ महाराष्ट्र के साथ मिलकर लागू किया गया है। यह योजना NINFRIS (Non-Fare Revenue Scheme) के तहत शुरू की गई है , जिससे रेलवे को अतिरिक्त आय भी मिलेगी। यह ATM AC कोच डिब्बे में लगाया गया है और ट्रेन के सभी 22 कोच वेस्टिब्यूल्स के माध्यम से जुड़े हुए हैं , जिससे किसी भी कोच के यात्री आसानी से ATM का उपयोग कर सकते हैं। ATM से मिलेंगी ये सुविधाएँ अब यात्रियों को चलती ट्रेन में भी नगद पैसे निकालने , बैंक स्टेटमेंट प्राप्त करने आदि। और बैंकिंग सेवाओं का लाभ मिलेगा। यह पहल विशेष रूप से चलती ट्रेन में पैसे निकालने की सुविधा प्रदान करती है , जो वरिष्ठ नागरिकों , महिलाओं और आकस्मिक ज...

समर कैंप का उत्साहपूर्वक शुभारंभ छात्राओं के कौशल विकास की नई पहल!!!!

पं. रविशंकर शुक्‍ल शासकीय ई.एफ.ए.क. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय , सागर में 15 अप्रैल 2025 को समर कैंप का विधिवत शुभारंभ हुआ। यह समर कैंप विद्यालय की एक अभिनव पहल है , जिसका उद्देश्य छात्राओं के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देना है। यह केवल एक अवकाशकालीन गतिविधि नहीं , बल्कि छात्राओं के कौशल विकास , रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने का सशक्त मंच है। विद्यालय में 1 अप्रैल 2025 से नवीन शैक्षणिक सत्र का आरंभ हो चुका है और नियमित कक्षाएँ संचालित हो रही हैं। 1 अप्रैल से 4 अप्रैल तक “स्कूल चले हम” अभियान के अंतर्गत विद्यालय में विविध प्रेरणात्मक एवं शैक्षणिक गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इन गतिविधियों में छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और शिक्षा के प्रति अपनी जागरूकता एवं सक्रियता को दर्शाया। इस सफल अभियान के बाद विद्यालय ने समर कैंप की शुरुआत कर एक नई दिशा में कदम बढ़ाया है। समर कैंप का उद्देश्य है छात्राओं को 64 विभिन्न पारंपरिक एवं आधुनिक कौशलों में नि:शुल्क प्रशिक्षण प्रदान करना। यह प्रशिक्षण अकादमिक पाठ्यक्रम से हटकर जीवनोपयोगी विषयों पर केंद्रित है। इसमें ब्यूटी एंड वेलनेस , व...

क्‍या डेयरी व्यापार को मिलेगी नई उड़ान?? दुग्‍ध उद्योग में बड़ा मौका!!!!

दूध के उत्‍पादन को बढ़ावा देने , और गुणवकत्‍ता में सुधार करने तथा पशुपालकों और युवाओं को डेयरी व्‍यवसाय के माध्‍यम से आर्थिक रूप से सशक्‍त बनाने की दिशा एक दूरदर्शी प्रयास मध्‍यप्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना इस योजना का लक्ष्‍य है , ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा हों , और डेयरी उघोग को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाया जा सकें। इकाई की स्थापना और लागत इस योजना के अंतर्गत , एक हितग्राही को 25 दुधारू पशुओं की एक इकाई स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी।   हर इकाई में या तो केवल गायें वंश होंगी या केवल भैंसें वंश होगी। एक इकाई की अधिकतम लागत सीमा ₹42 लाख रुपये तक निर्धारित की गई है। इसके अतिरिक्त , एक हितग्राही अधिकतम 8 इकाइयाँ यानी कुल 200 दुधारू पशु तक रखने के लिए पात्र होगा। ऋण और संचालन अवधि योजना के अंतर्गत एक लाभहार्थी को एक से अधिक बार ऋण लेने की अनुमति है , लेकिन दो ऋणों के बीच कम से कम 2 वर्षों का अंतराल होना अनिवार्य है। ऋण प्राप्त करने के बाद , लाभार्थी को अपने डेयरी फार्म का संचालन अधिकतम 7 वर्षों तक अथवा ऋण की समाप्ति तक करना हो...

डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर अभ्यारण्य मध्यप्रदेश का 25वां वन्यजीव अभ्यारण्य!!!!

मध्यप्रदेश को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई है। राज्य के सागर जिले में 12 अप्रैल 2025 को "डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर अभ्यारण्य" के रूप में 25 वां वन्यजीव अभ्यारण्य अधिसूचित किया गया। यह अभ्यारण्य उत्तर सागर वनमंडल की बंडा और शाहगढ़ तहसीलों के आरक्षित वनों में स्थित है , तथा इसका कुल क्षेत्रफल 258.64 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस संरक्षित क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य जैव विविधता एवं वन्यजीवों का संरक्षण , पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाए रखना , पार्यटन और इको-टूरिज्म को बढ़ावा देना और साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करना है। इस अभ्यारण्य की स्थापना से न केवल वन्य जीवन को संरक्षित किया जाएगा , बल्कि क्षेत्रीय जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र में भी संतुलन बनाए रखने में सहायता मिलेगी। यह कदम वन और पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में एक बड़ी और दूरदर्शी नीति का हिस्सा है। इस वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य को यह बात भी खास बनाती है , कि 12 अप्रैल को इस वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य कि अधिसूचना जारी की गई , और आज ही 14 अप्रैल के दिन डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर की 135व...

गिग (डिलेवरी वर्कर्स) और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स (ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर्स) के लिए सरकारी सुरक्षा चक्र की शुरुआत!!!!

आज के डिजिटल युग में हमारी ज़िंदगी को आसान बनाने वाले कई चेहरे हैं, कभी समय पर खाना पहुंचाने वाला डिलीवरी बॉय, कभी सफर को आरामदायक बनाने वाला कैब ड्राइवर, तो कभी ऑनलाइन सेवाएं देने वाला फ्रीलांसर। ये सभी गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स हैं, जो 24x7 मेहनत करके हमारी ज़रूरतें पूरी करते हैं, लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन मेहनतकशों के पास न तो कोई स्थायी नौकरी की सुरक्षा है और न ही किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का सहारा। वक़्त की यही माँग है कि जो लोग देश की अर्थव्यवस्था को ज़मीन से जोड़ते हैं, उन्हें भी पहचान, सम्मान और सुरक्षा मिले। इसी सोच को धरातल पर उतारने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 7 से 17 अप्रैल 2025 तक गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए विशेष पंजीकरण अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत इन वर्कर्स को ई-श्रम पोर्टल और संबल योजना में जोड़कर उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की कोशिश की जा रही है। ई-श्रम पोर्टल और संबल योजना भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ई-श्रम पोर्टल असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, विशेषकर गिग और प्‍लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल डेटाबेस तैयार करने की पहल है।...

भारतीय रेलवे रिजर्वेशन में वेटिंग टिकट करें या न करें?

भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी रेलवे संस्‍थाओं में से एक है, जो हर दिन लाखों यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाती है। आमतौर पर जब हम ट्रेन में सफर की योजना बनाते हैं, तो लगता है, कि टिकट बुक करना और यात्रा करना एक आसान प्रक्रिया होगी। लेकिन जैसे ही हमें वेटिंग टिकट (Waiting Ticket) मिलता है, तो कहानी थोड़ी उलझ जाती है। बहुत से यात्री वेटिंग टिकट मिलने के बाद परेशान हो जाते हैं क्योंकि उन्हें यह ठीक से पता नहीं होता कि इसका मतलब क्या है, इसका क्या नियम है, और क्या वे इससे यात्रा कर सकते हैं या नहीं। क्या यह टिकट कन्फर्म हो सकता है? अगर नहीं अथवा टिकट कंफर्म हो सकता है या नहीं का अंदाजा लगाना कठिन होता है। टिकट कन्फर्म नहीं होने की स्थिति में  कितना पैसा वापस मिलेगा? और इससे भी बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन में चढ़ सकते हैं? इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे रेलवे वेटिंग टिकट से जुड़ी हर जरूरी जानकारी, वो भी एकदम सरल, सीधी और समझने लायक तरिके में। हम आपको बताएंगे कि वेटिंग लिस्ट के कितने प्रकार होते हैं, उनमें से किसमें कन्फर्मेशन के चांसेस ज्यादा होत...